शनिवार, 18 अप्रैल 2015

कोहिनूर हीरे की कहानी

क्या आप जानते हैं कोहिनूर हीरे का चौंकाने वाला यह रहस्य ? ~~~~~~~~~~~~~~~ हीरे का नाम जब भी लिया जाता है तो कोहिनूर का नाम सबसे पहले आता है। आखिर हो भी क्यों न यह दुनिया का सबसे बड़ा हीरा जो है। इस हीरे की कहानी उससे भी बड़ी और खतरनाक है जितना बड़ा यह हीरा है। इस हीरे की कहानी की शुरूआत वहां से करते हैं जहां से यह प्राप्त हुआ। वर्तमान आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा के खदान से प्राप्त हुआ था। इसी खान से दरयाई नूर और नूर-उन-ऐन नाम का हीरा भी प्राप्त हुआ था। लेकिन जितनी प्रसिद्घि कोहिनूर को मिली उतनी किसी को नहीं मिली। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता यह हीरा शापित माना जाने लगा पहली बार तब पता चला मनहूस है कोहिनूर कोहिनूर हीरा सबसे पहले किसके पास पहुंचा इसका उल्लेख नहीं मिलता है। हलांकि बाबरनाम में इसका पहली बार जिक्र आया है कि यह 1294 के आस-पास यह ग्वालियर के किसी राजा के पास था। लेकिन इस हीरे को पहचान उस समय मिली जब 1306 में एक शख्स ने यह लिखा कि जो इंसान इसे पहनेगा वह संसार पर राज करेगा लेकिन इसके साथ ही उसका बुरा समय भी शुरू हो जाएगा। शुरू में इस बात को किसी ने स्वीकार नहीं किया लेकिन जब एक के बाद एक घटनाएं होने लगी तब सभी ने इस सच को स्वीकार करना शुरू किया किस किस को किया कोहिनूर ने तबाह काकतीय वंश के अंत के बाद यह हीरा तुगलक वंश के पास फिर मुगलों के पास आया। और जिनके पास भी यह पहुंचा उनका परचम शुरू में तो खूब लहराया लेकिन अंत भी बुरी तरह हुआ। शाहजहां ने कोहिनूर हीरे को अपने मयूर सिंहासन में जड़वाया परिणाम यह हुआ कि पहले उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर दुनिया से चली गई फिर बेटे ने ही नजरबंद करके सत्ता अपने हाथ में ले लिया। 1739 में नादिर शाह का भारत पर आक्रमण हुआ और मुगलों को पराजित करके नादिर शाह कोहिनूर अपने साथ पर्शिया ले गया। नादिर शाह ने ही इस हीरे को कोहिनूर नाम दिया। इससे पहले इसे अन्य नाम से जाना जाता था। कोहिनूर ले जाने के ठीक 8 साल बाद यानी 1747 में नादिर शाह की हत्या कर दी गई यानी कोहिनूर ने यहां भी अपनी मनहूसियत दिखाई अंग्रेज भी बच नहीं पाए कोहिनूर के बुरे प्रभाव से नादिर शाह की मौत के बाद कोहिनूर अफ़गानिस्तान शांहशाह अहमद शाह दुर्रानी फिर उनके वंशज शाह शुजा दुर्रानी के पास आया। लेकिन कोहिनूर के अशुभ प्रभाव के कारण उसकी सत्ता चली गई और वह भागकर पंजाब पहुंचा और कोहिनूर रंजीत सिंह को सौंप दिया। इसके बाद रणजीत सिंह जी की मौत हो गई और सिख साम्राज्य पर अधिकार करके अंग्रेजों ने इस हीरे को अपने कब्जे में ले लिया। आज यह हीरा इंग्लैंड में है। लेकिन इस शापित हीरे के शाप के प्रभाव से बचने के लिए इंग्लैंड की महारानी ने यह वसीयत बनाई कि इसे महिला ही धारण करेगी। लेकिन ऐसा माना जाता है कि इससे भी कोहिनूर का शाप दूर नहीं हुआ और दुनिया भर में फैले अंग्रेजों के साम्राज्य का अंत हो गया

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें