जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो, एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना। और.... जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो, किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना। - जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो, एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना। और…. जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो, अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना। - जब भी अपनी दौलत का अभिमान हो, बाढ़ भूकम्प वाले क्षेत्र से होके आ जाना, और…. जब भी आपको गरीबों पर दया आये, इंसानियत का फ़र्ज़ जरूर निभा आना। - और.... जब भी कभी बच्चों से प्यार हो,, उन्हें उठाकर दिल से जरूर लगा लेना। - जब भी अपने शरीर पर अभिमान हो, एक फेरा अस्पताल का लगा आना, और.... जब किसी अपाहिज को देखके दर्द हो, उसे इंसानियत का अहसास जरूर करा देना। - जब कभी अपने ज्ञान पर अभिमान हो, एक बार मेन्टल अस्पताल होके आ जाना। और.... जब भी आपको अपने ज्ञान का गुमान हो, किसी अशिक्षित को मुफ्त में पढ़ा देना।
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